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Archive for the ‘पाकिस्तान’ Category

मुशर्रफ फरार (व्यंग्य/कार्टून)

Posted by K M Mishra on August 6, 2009

Racing_car_2अबे ओ ! कमनसीब, नासपीटे । रूक जा । इत्ती तेज गाड़ी भगा कर कहां ले जा रहा है ? क्या पाकिस्तान का बार्डर फोड़ कर इरान में जा कर टक्कर मारेगा ।=>

=>परेशान मत हो अब्दुल्ला, वो अपने भूतपूर्व राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ होगें । जब से सुप्रीम कोर्ट ने उनके ऊपर पाकिस्तान में इमरजेंसी लगाने और सुप्रीम कोर्ट के 60 जजों की बर्खास्तगी के मामले में नोटिस जारी किया है तब से वो ऐसे ही दुनिया भर में कार भगा रहे हैं । अब तो लगता है कि वो लंबे समय तक तड़ीपार रहेंगे ।
=>
इक रस्ता,
आहा, आहा ।
इक राही,
आहा, आहा ।
अब हूं चोर,
पहले था सिपाही,
आहा, आहा ।

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आ गया शत्रुहंता आई.एन.एस. अरिहंत (व्यंग्य/कार्टून)

Posted by K M Mishra on July 28, 2009

Zardari=>सर जी! एक मशवरा है । या तो पूरी पाक नेवी को सिन्धु या दूसरी नदियों में ट्रान्सफर कर दीजिये या फिर मेरा तबादला कराची से रावलपिंडी कर दीजिये क्योंकि भारतीय नौसेना में आई.एन.एस. अरिहंत और चक्र के आ जाने के बाद अब अपनी नेवी का तो खुदा ही मालिक है ।


मित्रों, 26 जुलाई को आई.एन.एस. अरिहंत का विशाखापत्तनम में जलावतरण हुआ और 27 जुलाई को पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के चिंचियाने की आवाज़ सुनाई दी । ”अच्छा नईं कर्र रएं हैं ये आप लोग । कमज़ोर को मारने के लिए इत्ते वड्डे-वड्डे हैवी हथियारां बना रएं हैं । ठीक बात नईं हैं ये । पहले अवाक्स रडार और अब न्यूक्लियर सबमरीन । हम लोग तो पहले से ही तालिबान और अल-कायदा की दी हुई मौत मर रहे हैं । आप लोग क्यूं फालतू में परेशान हो रएं हैं । अब क्या छोरे के टेंटुए पर लात ही धर देंगे । हैं । अपनी तो चङ्ढी-बनयान तक सब गिरवी रखी है वाशिंगटन में । इत्ता पैसा कआं से लायेंगे अम लोग । बोलो ।”

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का कहना है ”भारत का यह कदम समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा में खतरा पैदा कर सकता है ।” भले मानुस लगता है तुमने हमारे शाकाहारी प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह का बयान नहीं पढ़ा है । मनमोहनसिंह जी का कहना है ”हम कोई आक्रामक कदम नहीं उठा रहे है और नहीं किसी को धमकाने के लिये यह कर रहे हैं ।” इसीलिये हमने न्यूक्लियर पनडुब्बी का नाम भी बहुत ही सात्विक और अहिंसा की पूजा करने वाले जैन तीर्थंकरों के नाम पर रखा है । हालांकि कुछ जैन मुनियों को इस नाम पर आपत्ति है लेकिन हम ठहरे अहिंसा के पुजारी । शांति के समय बापू को याद करते हैं और युध्द के समय उनकी लाठी उधार ले लेते हैं । डरने की कोई बात नहीं है । आप हमारे घटिया पड़ोसी हैं और इंशाल्लाह आपके घटियापन में कभी कोई कमी भी न आयेगी लेकिन ये न्यूक्लियर पनडुब्बी आपकी भी रक्षा करेगी । बूझिये कैसे ? अरे भइया ! हर बार लड़ाई तो तुम ही शुरू करते हो और बाद में पिट पिटा कर घर पोलो ले लेते हो । अब इन बेजोड़ हथियारों के खौफ से तुम युध्द शुरू ही नहीं करोगे । इसमे फायदा किसका है । ज़ाहिर है तुम्हारा ही है । लात खाने से बचे रहोगे । अब देखो न, तुम्हारी इज्ज़त आबरू सुरक्षित रहे इसके लिए हमें क्या क्या करम नहीं करने पड़ते ।

पिरायेगी तो है ही पड़ोसी की मित्रों क्योंकि आई.एन.एस. अरिहंत है काला ब्रह्मास्त्र । एक लगभग अदृश्य पनडुब्बी । जिसे ट्रेस कर पाना पाकिस्तान और चीन के लिए निहायत मुश्किल काम है । 110 मीटर लंबी, काले रबर से कोटिंग की हुयी, 6000 टन की ये पहली स्वेदेशी न्यूक्लियर सबमरीन भारत के लिए पोखरन परमाणु परीक्षण से भी बड़ी उपलब्धि है । आज पूरे विश्व में चार दर्जन से भी ज्यादा देश परमाणु ऊर्जा का दोहन कर रहे हैं । बीसियों देशों के पास परमाणु हथियार हैं । उत्तरी कोरिया और इरान बमबाज बनने के लिए धरती आसमान एक किये हुये हैं । लेकिन न्यूक्लियर सबमरीन सबके बस की बात नहीं है । हम दुनिया के ऐसे छठे देश हैं जिसके पास न्यूक्लियर सबमरीन है । ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है ।

आई.एन.एस. अरिहंत में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर द्वारा बनाया गया स्वेदेशी ‘प्रेशराइज्ड़ वाटर रियेक्टर’ लगाया गया है जो कि पनडुब्बी को 82 मेगावॉट बिजली की ताकत देता है । एक बार ईंधन लेने के बाद आई.एन.एस. अरिहंत को दसियों-बीसियों साल तक दुबारा ईंधन की जरूरत नहीं पड़ेगी । दूसरी आम डीज़ल पनडुब्बियों की तरह इसको हर रोज सतह पर आकर कार्बन-डाई-आक्साइड निकालने की जरूरत भी नहीं पड़ती है जिसकी वजह से इसको ट्रेस कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है । अबाध ऊर्जा मिलने के कारण इसकी गति भी 25 से 30 नॉटिकल माइल की होगी । फिलहाल इसमें अत्याधुनिक तारपीडो और स्वदेश निर्मित पानी के अंदर से ही 700 कि.मी. तक मार करने वाली एस.एल.बी.एम. के-15 सागरिका मिसाइल लगेगी और बाद में इसमें 500 से 800 कि.मी. तक मार करने वाली क्रूज मिसाइल भी लगा सकते हैं । भारत 3500 कि.मी. तक मार करने वाली एस.एल.बी.एम. के-5 के विकास में लगा हुआ है जो कि आई.एन.एस. अरिहंत और इसके जैसी दूसरी स्वदेशी न्यूक्यिर सबमरीन में लगाई जायेंगी । केन्द्रीय मन्त्रीयमण्डल ने पांच और न्यूक्लियर सबमरीन तैयार करने की अनुमति दे दी है ।

और इसके साथ ही मित्रों इसी सितंबर-अक्टूबर में हमें रूस से आकुला-2 श्रेणी की ”के-152 नेरपा” न्यूक्लियर सबमरीन दस साल के लिये लीज़ पर मिलने जा रही है । 12000 टन वजनी इस न्यूक्लियर सबमरीन का भारतीय नाम है आई.एन.एस. चक्र । फिलहाल इस पर कौन कौन से हथियार लगाये जायेंगे इसके बारे में सरकार अभी कुछ नहीं कह रही है लेकिन उम्मीद यही है कि आई.एन.एस. चक्र आम तौर पर लगने वाली 2500 से 5000 कि.मी. तक मार करने वाली ब्लास्टिक मिसाइलों और 500 से 800 कि.मी. तक मार करने वाली क्रूज़ मिसाइलों से लैस होगी ।

हमारे लिये हिंद महासागर आर्थिक और रणनीतिक रूप से निहायत ही महत्वपूर्ण है । हिंद महासगर की एकमात्र सबसे बड़ी नौसेना भारतीय नौसेना है लेकिन पिछले कुछ सालों से चीन हिंद महासागर मे घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है । चीन हिंदमहासागर में हमें चुनौती देने की कोशिश कर रहा है । हिंदमहासागर में शांति बनाये रखने और अपनी सुरक्षा को पुख्ता बनाने के लिए 2016 तक हमें तीन एयरक्राफ्ट कैरियर और 6 से 10 न्यूक्लियर सबमरीन की जरूरत पड़ेगी । विध्वंसक पोत और डीज़ल चालित पनडुब्बियों की संख्या में भी वृध्दि की तत्काल जरूरत है । पाकिस्तान हमारे लिये कभी चुनौती नहीं रहा लेकिन आज हमारे सामने चुनौतियां क्षेत्रीय कम वैश्विक ज्यादा हैं और इनके लिये जल्दी ही कमर कसने की जरूरत है ।

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ज़रा आंख में भर लो पानी (विजय दिवस पर विशेष) (व्यंग्य/कार्टून)

Posted by K M Mishra on July 27, 2009

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ज़रा आंख में भर लो पानी (विजय दिवस पर विशेष)

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कारगिल युद्ध भाग : 1 (व्यंग्य/कार्टून)

Posted by K M Mishra on July 25, 2009

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कारगिल युद्ध भाग : 1

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मेरे दरवाजे़ पर इंटरपोल पुलिस (व्यंग्य/कार्टून)

Posted by K M Mishra on July 21, 2009

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मेरे दरवाजे़ पर इंटरपोल पुलिस

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सत्यवादी जरदारी (व्यंग्य/कार्टून)

Posted by K M Mishra on July 10, 2009

=> ये नासपीटे दोजख के कीड़े, इनको हमने भारत को काटने के लिए पाला था, ये अब हमीं को काट खाने लगे हैं । अब इनका इलाज अमेरीकी गोलियां और बम हैं । मरो सालों ।

                

           

 पिछली रात पता नहीं कौन सी रूहानी मजबूरी पेश आई कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने हमेशा कि तरह एक बोतल स्काच की जगह दो बोतल स्काच खाली कर दी । शायद उनको मरहूम बेगम बेनज़ीर की याद हद से ज्यादा सता रही थी जबकि इस्लामाबाद के राष्ट्रपति भवन में उनको अमेरिकी राष्ट्रपति वाली सारी सुविधायें मुहैया कराई गयी हैं । यानी कि वो जब चाहे बिल क्लिटंन की तरह सिगार भी पी सकते हैं और पिला भी सकते हैं और पाक सेना भी यही चाहती है कि राष्ट्रपति जरदारी सारी सुविधाओं को भोगें और उसी में मशगूल भी रहें लेकिन बेकायदे आजम जिन्ना साहब के उसूलों के खिलाफ हरगिज़ न जायें । बेकायदे आजम जिन्ना साहब ने ख्वाब देखा था एक इस्लामिक राष्ट्र का जहां फिजाओं में सिर्फ इस्लाम ही इस्लाम तारी हो यानी की सड़कों पर लाशें, एक दूसरे का खून बहाते शिया और सुन्नी, एक अदद मानवाधिकार के लिए रिरियाते भूखे-नंगे बच्चे और औरतें, अपने ही देशवासियों से जूझती पाक सेना ……. और पता नहीं क्या, क्या ।

 जरदारी साहब सवेरे उठे तो उनको रात ख्वाब में चीखती, चिल्लाती मरहूम बेगम बेनजीर की याद आयी । बेनजीर चीख चीख कर उनको आदेश दे रही थीं कि मेरा हत्यारों को कब सजा दोगे । जरदारी साहब बेनजीर की चीख से अब भी उतना ही डरते हैं जितना कि पहले डरा करते थे । सवेरे उठे तो सिर भारी भारी हो रहा था । किसी तरह उठ कर गुसलखाने में जाकर फारिग़ हुए । सवेरे की नमाज़ अदा की और सिर झटकते हुऐ, आहिस्ता आहिस्ता चल कर अपने दीवान-खाने में पहुंचे और सोफे पर ढ़ेर हो गये ।

 तभी पता नहीं किस कोने से एक पत्रकार नाम का प्राणी निकल कर उनके सामने आ गया । जरदारी साहब ने आंखे मिचमिचा कर उसको देखने की कोशिश की । हाथ में कागज और कलम देखी तो समझ गये कि ये कम्बख्त अखबारनवीस की कौम से है । सवेरा हुआ नहीं कि मुंह उठाये चले आये । पूछा, क्या चाहते हो ।

 घिसे हुए पत्रकार ने देश के अंदरूनी हालात पर सवाल दाग दिया ।

 रात की स्काच अभी तक सिर पर दुगुन में तीन ताल बजा रही थी, ऊपर में मरहूम बेगम बेनजीर की भटकती आत्मा की चीखें । जरदारी साहब का ऊपरी माला कुछ देर के लिए सिफर हो गया । उस वक्त तक कामचोर सलाहकार भी सो कर नहीं उठे थे जो रात में हमप्याला बने आगे पीछे घूम रहे थे । राष्ट्रपति को कोई कूटनीतिक जवाब नहीं सूझा और सचाई ज़बान पर आ गयी । ये सब साले आतंकी, हमारे ही पैदा किये हुए हैं । इन सांपों को कल तक हमने इस लिए दूध पिलाया था कि ये जा कर भारत को डसेंगे । दुनिया भर में इस्लाम का नारा बुलंद करेंगे । ये दोजख के कीड़े, हरामी हमीं को काटने लगे । हमारी फौज फिनिट का डिब्बा लेकर इनको साफ करने में लगी है । कीड़े पड़ेंगे, कीड़े इन नासपीटों को, जिन्होंने मेरी बेगम को मुझसे जुदा कर दिया । दिल का दर्द ज़बान पर तो आया ही आया ही आंखों से भी छलकने लगा ।

 राष्ट्रपति की आंखे नम देख कर वो अखबारनवीस वहां से पोलो ले लिया । लेकिन देरी से कमरे में घुसने वाले राष्ट्रपति के सलाहकार ने जब राष्ट्रपति के मुंह से ये सचाई भरा बयान सुना तो सिर पीट लिया और सोचने लगा कि अब जनरल को इसका क्या मतलब समझायेंगे, क्योंकि कल तक तो भारत से भी कूटनीतिक दबाव पड़ना शुरू हो जायेगा ।

 

 

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