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क्या करेंगें नये साल में

Posted by K M Mishra on December 29, 2008

 

दृश्य 1:
मिसेज बुश: सुनिये, अब तो आप रिटायर हो गये । आगे का क्या प्रोग्राम है । घर में जवान दो-दो लड़कियाॅं पड़ी हैं ब्याहने को । सोचा था हस्बैंड प्रेसीडेंट हैं तो रिश्ते भी अच्छे घरों से आयेंगें । आप तो लगे रहे 8 साल दुनिया को आग में झोकने में, घर-बार की तो कोई खबर भी नहीं रहती है । अब आगे रोटी पानी का क्या इंतजाम करेंगें ।

जार्ज बुश: अरे तुम बेकार ही परेशान होती हो । मेरी 8 साल की मेहनत बेकार नहीं गई है । 8 साल ठाठ से दुनिया को उल्लू बनाया  है। पैसा भले न कमाया हो, लेकिन नाम खूब कमाया है । पैसों की चिंता तुम बेकार में कर रहीं हो । लड़कियों की शादी भी खूब मजे से हो जायेगी । मैंने नया धंधा सोच रखा है । शोहरत और पैसा खूब है इसमें ।

मिसेज बुश: नया बिजनेस ? अब क्या करने का इरादा है ?

जार्ज बुश: एकदम फ्री फंड का धंधा है । अपनी जेब से पैसा भी नहीं लगाना पडे़गा । बस मुस्लिम देशों के दौरे करने पड़ेगें । बाकी काम तो अपने आप हो जायेगा ।

मिसेज बुश: मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है जी । जरा खुल कर समझाइये ।

जार्ज बुश: अरे अब भी नहीं समझीं । मैं ऐसी-ऐसी जगह दौरा करूंगा जहाॅं-जहांॅॅ मुसलमान मुझे खुलेआम गालियाॅं देते हैं । इराक वाली घटना के बाद तो अब सभी जूूता लेकर मेरे पोस्टर पर पिल पड़ते हैं । जब मेरे पोस्टर को इतने जूते मिल रहे हैं तो मुझे तो ट्रकों जूते मिलेंगें । बस, और क्या चाहिए । इन सभाओं में इतने जूते मिलेंगे कि हम अपनी जूते की कंपनी खोल लेंगें । चकाचक धंधा । हींग लगे न फिटकरी और रंग भी चोखा । देखते देखते बाटा, रीबाॅक सबकी दुकाने बंद हो जायेंगीं और मिडिल ईस्ट में सिर्फ एक ही जूते की कंपनी चलेगी, जार्ज बुश शू कंपनी ।

    मिसेज बुश भी नये धंधे की संभावनायें जानकर बड़ी खुश हुईं और पति की और बड़े लाड़ से देखने लगीं और देखती भी क्यूं न आखिर 8 साल में पहली बार जार्ज बुश भी काम के टेंशन से मुक्ति पाकर सोफे पर पसरे पडे़ थे ।
दृश्य 2ः    इस्लामाबाद में पाकिस्तानी राश्ट्रपति जरदारी की प्रेस कांफ्रेंस ।

पत्रकार: जरदारी साहब, नये साल में आप भारत के साथ कैसे रिश्ते चाहते हैं ।

जरदारी: बिल्कुल वैसे ही जैसे मुंबई हमले के पहले थे । यानि की भारत की सरकार हमारे सरकारी जिहादी कार्यक्रम के बारे सब कुछ जानते हुये भी आंॅखे मूंदे रहे और आई0 एस0 आई0 और लश्कर अपनी पुरानी गविविधियों में लगे रहें ।

पत्रकार: प्रेसिडेंट साहब, अजमल कसाब के लेटर का आपकी सरकार क्या जवाब देने जा रही है ।

जरदारी: हमने कसाब का खत गौर  से  पढा और उसका जवाब भी तैयार करवा दिया है । खत में हमने कसाब को लिखा है कि मुल्क तुम्हारी बहादुरी और जिहाद के लिये तुम्हारे योगदान की तारीफ करता है । लेकिन क्या ही अच्छा होता कि तुम भी और दूसरे नौ दहशतगर्दों की तरह लड़ते लड़ते इस्लाम पर कुर्बान हो जाते । कम से कम पाकिस्तान की दुनिया के सामने इतनी फजीहत तो नहीं होती । तुम ने जिंदा रह कर मुल्क के लिए दिक्कतें पैदा कर दी हैं । हम तुम्हारी भारत मंे किसी तरह की कोई भी मदद नहंीं कर सकते हैं । हमारे जिहाद की यही मजबूरी है कि हम जिहादियांे से खुलेआम कोई रिश्ता नहीं रख सकते, इसीलिए हमने कारगिल मंे लड़ने वाले अपने फौजियों की लाशें तक लेने से मना कर दिया था । फिलहाल बेटा कसाब न हम तुम्हें जानते हैं और नहीं तुम पाकिस्तानी हो और तुम भी आगे से यही कहना कि तुम पाकिस्तानी नहीं हो । मुल्क तुम्हारी शहादत हमेशा याद रखेगा, बस अब तुम जल्दी से शहीद हो कर दिखादो ।

पत्रकार: जरदारी साहब, भारत के साथ वार के चांसेज कितने हैं ।

जरदारी: इस सवाल का जवाब मैं तभी दूंगा जब आप इसे न तो अखबार में छापें और नहीं टी0वी0 पर दिखायें ।

पत्रकार: हमें मंजूर है ।

जरदारी: वार-फार कौन उल्लू का पठ्ठा करने जा रहा है । ये तो हम सेना को इधर उधर लगा कर अमेरिका को उल्लू बना रहे हैं । अब इंडिया से पांचवा यु़द्ध करके हमें अपनी ऐसी तेसी करवानी है क्या । अभी तो 5-6 महीने ही हुये हैं मुझे प्रेसीडेंट बने । अब  इसी में वार भी करवा देंगें तो प्रेसीडेंटी कब करेंगें । वार की तैयारी का नाटक करके अमेरिका को उल्लू बनाया जा रहा है । और इसी बहाने कुछ अमेरीकी डाॅलर भी झटक लंेगें जो इस मंदी में हमारे काम आयेंगें । अब आप लोग जाइये, हमें बेनजीर की मज़ार पर चादर चढाने भी जाना है । उसी बेचारी की वजह से ही तो हम आज प्रेसीडेंट बने हुये हैं, नहीं तो सड़ रहे होते कराची की सेंट्रल जेल मंे अभी तक । अच्छा खुदा हाफिज ।

One Response to “क्या करेंगें नये साल में”

  1. indiasmart said

    ग़ज़ब!

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