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सरकारी हस्पताल का सुख (व्यंग्य/कार्टून)

Posted by K M Mishra on August 26, 2009

सिस्टर तीन दिन से तुम रोज टेम्परेचर और बीपी नाप रही हो । दवा के नाम पर ग्लूकोज की बोतल और बीकासूल की गोलियां दे रही हो । दूसरी जरूरी दवाएं कब खाने को मिलेंगी । =>

<=मंहगी और जीवनरक्षक दवाएं सरकारी हस्पतालों के टुच्चड़ मरीजों के लिये नहीं होती हैं । उन दवाओं को तो श्रेष्ठ मरीजों के स्वास्थ हितार्थ प्राइवेट नर्सिंग होम्स को नाम मात्र रूपये लेकर दान कर दिया जाता है । तुम्हारे हिस्से तो एक्सपायरी दवाएं ही आयेंगी । हम तो खून भी बिना ब्लड ग्रुप चेक किये जो स्टाक में एवलेबल होता है मरीज को चड़ा देते हैं । गरीब का शरीर सब एडजेस्ट कर लेता है । हमारे यहां के कम्पाउंडर तक इतने ज़हीन होते हैं कि सर्जन के न रहने पर बिना आपरेशन टेबल के ही आपरेशन कर डालते हैं । फिर भी महीने में 10-5 मरीज मर मरा जाते हैं तो इसमें हमारा कोई कुसूर नहीं । भगवान ने जितनी सांसे एलाट की थीं उसमें से हम कुछ घटा ही सकते हैं, बढ़ा नहीं सकते ।

4 Responses to “सरकारी हस्पताल का सुख (व्यंग्य/कार्टून)”

  1. सिस्टर अच्छी हैं जो इतनी बात कर लिया उन्होंने. ज्यादातर तो सवाल का जवाब नहीं देतीं.

  2. आप गरीब भाग्य में तो मात्र मन्त्रोच्चार है ठीक होने को – ऊं नमो सिस्टरायै नम:!

  3. आज के परिदृश्‍य में अच्‍छा व्‍यंग

  4. praney said

    sir , can i have ur email id aapse chat karni hai..
    ye janna chahta hu aapne apne blog ko itna acha kaise bana rakha hai
    plz guide my email id is praneysharma@gmail.com
    waitng for ur reply

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