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जग बौराना : लज्जा नहीं आयी ।

Posted by K M Mishra on October 21, 2010

लेखक: श्री नरेश मिश्र

सेठ की शामत आयी थी जो उसने पितृपक्ष में । मथुरा के चौबे को भोजन के लिये बुला लिया । सेठ  का राहूकाल चल रहा होगा । चौब जी आये । सेठानी ने अपनी समझ से आदमियों के लिये भोजन का प्रबंध किया था । चौबे जी सब कुछ डकार गये । जब उन्होंने उन्नीसवीं बार कचौड़ी मांगी तो सेठानी ने कड़ाही बजा कर बताया कि अब कुछ बचा नहीं है । सेठ झल्ला गया । उसने कहा चौबे जी लज्जा नहीं आयी । चौबे जी की बिटिया का नाम लज्जा था । उन्होंने जवाब में फौरन अंगोछा फैला दिया । कहा – जजमान लज्जा नहीं आयी है । उसने अंगोछा भेजा है । उसका भोजन इसी अंगोछे में बांध दो ।

यह लज्जा का अंगोछा सियासतदानों में किसके के पास है ? मेरे ख्याल से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास है । बेचारे बिहार गये थे । उन्होंने बताया  कि केन्द्र ने बहुत सारा सरमाया भेजा था लेकिन बिहार सरकार ने उसका इस्तेमाल नहीं किया । उपयोग की बात होती तब भी कोयी सीमा थी । उन्होंने कहा कि इसका दुरूपयोग हुआ है । राहुल बाबा भी यही बोले । सोनिया जी भी यही बोलीं । यह केन्द्र सरकार के लिये रामधुन हो गया है । जहां चुनाव सभा करने जाते हैं, इसी बात को दुहराते हैं कि केन्द्र ने तो बहुत पैसा दिया । राज्य सरकारों ने उसका दुरूपयोग किया ।

यह नुस्खा अब पिट गया है । मर्ज के लिये कितना कारगर होगा कहा नहीं  जा सकता । एक सवाल और है । अगर कोई ज्योतिषी, पण्डित या विद्वान इसका जवाब दे सके तो बहुत अच्छा होगा । कितने झूठे मरते हैं तो एक नेता पैदा होता है । धर्मशास्त्र में इसका कोयी जवाब नहीं है । प्रधानमंत्री ने बिहार सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप तो लगा दिया लेकिन चिराग तले अंधेरे की कहावत चरितार्थ हो गयी । कामनवेल्थ गेम्स में 70,000 करोड़ रूपये के खर्च का हिसाब नहीं मिल रहा है । अभी केन्द्र सरकार को उसका जवाब देना बाकी है । लेकिन प्रधानमंत्री घूम-घूम कर यही कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार तो बड़ी उदार है और राज्य सरकारें बेईमान हैं । ये झूठ कितने दिन चल सकता है ।

सवाल यह है कि राजा से कौन कहे कि वह नंगा है । राजा दूसरे के कपड़ों की ओर इशारा कर सकता है लेकिन उसे कोयी दरबारी नहीं बता सकता कि वह किस तरह से बेपर्दा है । बेपर्दगी की एक प्रतियोगिता चल रही है । राजनीति में जो जितने आरोप लगा सके उसकी उतनी ही कीमत बढ़ती है । बिहार के चुनाव का नतीजा क्या होगा यह तो जनता ही बतायेगी । लेकिन हमारा राजनीतिज्ञों से निवेदन है कि वो झूठ बोलने मे थोड़ी कमी कर देंगे तो उनके हाजमे पर कोयी फर्क नहीं पड़ेगा । उनकी सेहत बहाल होगी । थोड़ा कहा, ज्यादा समझना ।

8 Responses to “जग बौराना : लज्जा नहीं आयी ।”

  1. नुस्खा कतई पिटा पिटाया नहीं है जी, हमेशा काम आने वाला है।
    कामनवैल्थ खर्च की पाई से पाई मिलेगी, देख लेना आप। और जो घपला निकला भी तो सुधांशु मित्तल जैसे विपक्ष के सहयोगी किस दिन काम आयेंगे।

  2. प्रवीण पाण्डेय said

    सबके पास अंगोछा हैं यहाँ।

  3. I’m still learning from you, but I’m trying to reach my goals. I certainly enjoy reading all that is written on your blog.Keep the posts coming. I loved it!

  4. Respekt! Soviele Infos zu dem bereich auf einem Haufen! Hat mir eine menge zeit erspart! Vielen dank!

  5. Keep working ,great job!

  6. digneshbhatt said

    hahaha

  7. hahaha

  8. wah

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