सुदर्शन

नई साईट पर जायें – www.ksudarshan.in

Archive for April 15th, 2009

आम चुनाव का पितृपक्ष (हास्य-व्यंग्य, कार्टून)

Posted by K M Mishra on April 15, 2009

नरेश मिश्र

साधो, इस साल दो पितृ पक्ष पड़ रहे हैं । दूसरा पितृ पक्ष पण्डितों के पत्रा में नहीं है लेकिन वह चुनाव आयोग के कलेण्डर में दर्ज है । इस आम चुनाव में तुम्हारे स्वर्गवासी माता पिता धरती पर आयेंगे, वे मतदान केन्द्रों पर अपना वोट देंग और स्वर्ग लौट जायेंगे ।

बहर कैफ अगर तुम अपने पुरखों के साक्षात दर्शन करना चाहते हो तो मतदान के दिन पोलिंग बूथ पर जरूर जाना । मतदाता सूची में तुम्हारे तमाम स्वर्गीय सगे सम्बन्धियों के नाम दर्ज हैं । चुनाव आयोग चाहता है कि वे स्वर्ग से आयें और अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकतांत्रिक कर्तव्य निभाएं । उनका वोट इसलिए ज्यादा कीमती है क्यूंकि दुनिया में अपने मुल्क के सिवा ऐसा कोई लोकतंत्र नहीं है जहां मरे हुए लोग भी जानादेश देने के लिए धरती पर आते हैं ।

इस चुनाव आयोग और सरकारी इंतजामियों की बड़ाई क्या करें । हम ठहरे मृत्युलोक के एक नाचीज़ नागरिक । इसकी बड़ाई करने में तो शेष-शारदा भी असमर्थ हैं ।

अब मृत कलेक्ट्रेट कर्मी श्रीमती किशोरी त्रिपाठी को अगर मतदाता पहचान पत्र हासिल हो जाता है और उसमें महिला की जगह पुरूष की फोटो चस्पा है तो इस पर भी आला हाकिमों और चुनाव आयोग को अचरज नहीं होना चाहिए । अपनी धरती पर लिंग परिवर्तन हो रहा है तो स्वर्ग में भी क्यों नहीं हो सकता । स्वर्ग का वैज्ञानिक विकास धरती के मुकाबले बेहतर ही होना चाहिए ।

साधो, अगर तुम मतदान केन्द्र पर जाओ और मतदाता सूची से अपना नाम गायब पाओ तो तुम्हें खामोशी से दुम दबा कर वापस लौट आना चाहिए । मतदान के दौरान जरा भी चू-चपड़ की तो लाठियों और तुम्हारी पीठ का पवित्र संगम हो जायेगा । इस संगम का पुण्यलाभ कर तुम्हें कई दिन बिस्तर पर आराम करना पड़ेगा । इलाज में जेब की रकम खर्च होगी सो अलग से । तुम जितनी बार दर्द से कराहोगे उतनी बार तुम्हें याद आयेगा कि तुम्हारा लोकतंत्र महान है । वह जाली वोटरों का बाहें पसार का स्वागत करता है और वैध वोटरों की धुनाई में कोई कसर नहीं छोड़ता है ।

खबर के अनुसार इस बार मतदाता सूची में तमाम वैध वोटरों का नाम गायब है । यह कमाल किसने और क्यूं किया होगा ? इस सवाल पर बवाल खड़ा हो सकता है । वैसे मतदाता सूची संशोधन में प्रशासन और चुनाव आयोग ने काफी मेहनत की है । महीनों की मेहनत का नतीजा हासिल हुआ है कि मतदाता अपना बाप बन गया है, कहीं अपने बेटे का बेटा । कहीं बेटी के पति की जगह पिता का नाम दर्ज है । कहीं मतदाता की जन्मतिथि का अता पता नहीं है ।

यह कमाल कंप्यूटर का है या शातिर कर्मचारियों, अधिकारियों का कमाल है, कुछ पता नहीं चल रहा है । कमाल चाहे जिसका भी हो इस कामयाबी पर उसे पहचान कर पद्मविभूषण पुरूस्कार से नवाजा जाना चाहिए ।

साधो, इस कमाल पर हमें उस गंवई वैद्य का ख्याल आता है, जो दवा की झोली घोड़ी पर रखकर गांव के रास्ते जा रहा था । नदी किनारे श्मशान में चिता जलती देख कर उसने उसने घोड़ी रोक दी, फिर वह हैरत में बड़बड़ाने लगा, यह किसकी चिता जल रही है । इस मृतक ने किस वैद्य से इलाज करवाया था । इसके इलाज के लिए मैं तो गया नहीं था, न ही मेरा भाई ही गया था । हम दोनों ही नहीं गये थे तब यह मरीज किसके कमाल से भगवान को प्यारा हो गया ।

अभी तो हमारा लोकतंत्र जीवित है और बड़े ही कष्ट से सांसे ले रहा है । अगर चुनाव आयोग और सरकार ने वक्त रहते अपने चरित्र और चाल में सुधार नहीं किया तो हमें वह दु:खद दिन भी देखना पड़ सकता है, जब चिता जलते देखकर नेता और नौकरशाह कहेंगे कि वे तो मरीज का इलाज करने नहीं गये थे तब यह कमाल किसने किया ।

=>अबे ओ श्रीमान जी के बच्चे! दो घण्टे से तू अपना नाम वोटर लिस्ट में ढूंढ रहा है । अगर नाम होता तो कब का मिल चुका होता । समय खोटी मत कर, चल फुट यहां से, बंग्लादेशी कहीं का ।

Posted in कार्टून, चुनाव, बुराइयों, भ्रष्टाचार, राजनैतिक विसंगतियों, राष्ट्रीय, सामाजिक, हिन्दी हास्य व्यंग्य, election | Tagged: , , | 4 Comments »