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आयुर्वेदिक औषधियां

Courtesy JKHealthworld.com

आक :

आक का पौधा पूरे भारत में पाया जाता है। गर्मी के दिनों में यह पौधा हरा-भरा रहता है परन्तु वर्षा ॠतु में सुखने लगता है। इसकी ऊंचाई 4 से 12 फुट होती है । पत्ते 4 से 6…………….

आडू :

यह उप-अम्लीय (सब-,एसिड) और रसीला फल है, जिसमें 80 प्रतिशत नमी होती है। यह लौह तत्त्व और पोटैशियम का एक अच्छा स्रोत है।………………

आलू :

आलू सब्जियों का राजा माना जाता है क्योकि दुनियां भर में सब्जियों के रूप में जितना आलू का उपयोग होता है, उतना शायद ही किसी दूसरी सब्जी का उपयोग होता होगा। आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन ‘बी’ तथा……………….

आलूबुखारा :

आलूबुखारे का पेड़ लगभग 10 हाथ ऊंचा होता है। इसके फल को आलूबुखारा कहते हैं। यह पर्शिया, ग्रीस और अरब की ओर बहुत होता है। हमारे देश में भी आलूबुखारा अब होने लगा है। आलूबुखारे का रंग ऊपर से मुनक्का के…………..

आम :

आम के फल को शास्त्रों में अमृत फल माना गया है इसे दो प्रकार से बोया (उगाया) जाता है पहला गुठली को बो कर उगाया जाता है जिसे बीजू या देशी आम कहते है। दूसरा आम का पेड़ जो कलम द्वारा उगाया जाता है। इसका पेड़ 30 से 120 फुट तक ऊचा होता है……………………

आमलकी रसायन :

आमलकी (बीज रहित फल) बारीक चूर्ण लेकर आमलकी रस में सूखने तक मर्दन करें। इस विधि को 21 बार दोहरायें। मर्दन छाया में ही करें।…………………..

आंबा हल्दी :

आंबा हल्दी के पेड़ भी हल्दी की तरह ही होते हैं। दोनों में अन्तर यह है कि आंबा हल्दी के पत्ते लम्बे तथा नुकीले होते हैं। आंबा हल्दी की गांठ बड़ी और भीतर से लाल होती है, किन्तु हल्दी की गांठ की छोटी और पीली होती है। आंबा हल्दी में सिकुड़न तथा झुर्रियां नही होती है……………..

अफीम :

अफीम पोस्त के पोधे पोपी से प्राप्त की जाती है । अफीम के पौधे की ऊंचाई एक मीटर, तना हरा, सरल और स्निग्ध (चिकना), पत्ते आयताकार, पुष्प सफेद, बैंगनी या रक्तवर्ण, सुंदर कटोरीनुमा एंव चौथाई इंच व्यास वाले…………………….

आँवला :

आंवले का पेड़ भारत के प्रायः सभी प्रांतों में पैदा होता है। तुलसी की तरह आंवले का पेड़ धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माना जाता है। स्त्रियां इसकी पूजा भी करती है। आंवले के पेड़ की ऊचाई लगभग 20 से 25 फुट तक होती है।…………………

अभ्रक :

अभ्रक, कशैला, मधुर और शीतल है, आयुदाता धातुवर्द्बक और त्रिदोष(वात, पित्त और कफ) नाशक है, फोड़ा, फुंसी प्रमेह और कोढ़ को नाश करने वाला है, प्लीहा (तिल्ली), उदर रोग, ग्रन्थी और विष दोषों का मिटाने वाला है, पेट……………….

अदरक :

भोजन को स्वादिष्ठ व पाचन युक्क्त बनाने के लिए अदरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। वैसे तो यह सभी प्रदेशों में पैदा होती है,लेकिन अधिकाशं उत्पादन केरल राज्य में किया जाता है। भूमि के अन्दर……………..

अडूसा (वासा) :

सारे भारत में अडूसा के झाड़ीदार पौधे आसानी से मिल जाते हैं । ये 4 से 8 फुट ऊंचे होते हैं । अडूसा के पत्ते 3 से 8 इंच तक लंबे और डेढ़ से साढ़े तीन इंच चौड़े अमरुद के पत्तो जैसे होते हैं । नोकदार, तेज गंधयुक्त,………………………..

अकरकरा (PELLITORY ROOT) :

अकरकरा अल्जीरिया में सबसे अधिक मात्रा में पैदा होता है। भारत में कश्मीर, आसाम, आबू और बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में और गुजरात, महाराष्ट्र आदि की उपजाऊ भूमि में कही-कही उगता है। वर्षा के शुरु में ही इसका झाड़ीदार पौधा उगना प्रारंभ हो जाता है। अकरकरा का तना रोएंदार और ग्रंथियुक्त होता है। अकरकरा की छाल कड़वी और………………

अगर :

अगर का पेड़, आसाम, मलाबार, चीन की सरहद के निकटवर्ती ‘नवका’ शहर के ‘चतिया’ टापू में, बंगाल में दक्षिण की ओर के उष्णकटिबन्ध के ऊपर के प्रदेश में और सिलहट जिले के आसपास ‘जातिया’ पर्वत पर………………….

अगस्ता :

अगस्ता का वृक्ष (पेड़) बड़ा होता है। यह बगीचो और खनी हुई जगहो में उगता है। अगस्ता की दो जातियां होती है। पहले का फूल सफेद होता है तथा दूसरे का लाल होता है। अगस्ता के पत्ते इमली के पत्तो के समान होते हैं। अगस्त……………..

आकड़ा :

आकड़ा का पौधा 4 से 5 फुट लम्बा होता है। यह जंगल में बहुत मिलता है। कैलोट्रोपिस जाइगैण्टिया नाम से यह होम्योपैथी में काम में ली जाती है…………

ऐन :
ऐन के वृक्ष(पेड़)बहुत बड़े होते हैं। ऐन के पेड़ की लकड़ी मजबूत होती है। इसकी लकड़ी का प्रयोग एमारतो और नाव एत्यादि बनाने में यह काम आती है। ऐन के पत्ते लम्बे होते हैं। ऐन के पेड़ की दो जातियां होती है- सफेद…………………

अजमोद :

अजमोद के गुण अजवायन की तरह होता है। परन्तु अजमोद का दाना अजवायन के दाने से बड़ा होता है। अजमोद भारत वर्ष में लगभग सभी जगह पाई जाती है लेकिन विशेष कर बंगाल में, यह शीत ॠतु के आरंभ में बोई जाती है। यह हिमालय के उत्तरी और पश्चिमी प्रदेशो……………

अजवाइन :

अजवायन का पौधा आम तौर पर सारे भारतवर्ष मे लगाया जाता है, लेकिन बंगला दक्षिणी प्रदेश और पंजाब में पैदा होता है। अजवायन के पौधे दो-तीन फुट ऊंचे और पत्ते छोटे आकार में कुछ कंटीले होते हैं। डलियों पर सफेद फुल गुच्छे के रुप में लगते है, जो पक कर एवं सुख………..

अखरोट :

अखरोट पतझड़ करने वाले बहुत सुन्दर और सुगन्धित पेड़ होते है, इसकी दो जातियाँ पाई जाती है। जंगली अखरोट 100 से 200 फीट तक ऊँचे, अपने आप उगने वाले तथा फल का छिलका मोटा होता है। कृषिजन्य 40 से 90 फुट तक ऊँचा होता………………

एकवीर :
एकवीर जंगलों में होता है। एकवीर के बड़े दो पेड़ होते हैं इसमें बड़े-बड़े और मोटे-मोटे, अलग-अलग, 1-1 कांटे होते हैं, पत्ती पाखर की पत्ती समान फल छोटे-छोटे और झुमखों में लगते हैं।………………

एलबा :

एलबा गर्म प्रकृति का है, कफ वात् नाशक है, पेट साफ करने वाला है। ज्वर मूर्छा (बुखार में बहोशी आना) और जलन को दूर करता है रुचि को उत्पन्न करता है, नेत्रों की दृष्टि शक्ति (आंखों से रोशनी) को बढ़ाता है। बहुत पुराने घावो पर भर लाती है, नेत्रों के बहुत रोगो में लाभकारी है, अगर सिरका के साथ रसवत और अफीम भी हल करें………………

अलसी (Linseed, Linum Usitatissimum) :

अलसी की खेती मुख्यत, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में होती है। अलसी का पौधा 2 से 4 फुट ऊंचा होता है। अलसी के पत्ते रेखाकार एक से तीन इंच लंबे होते है। फूल मंजरियों में हल्के नीले रंग के होते है। फल कलश के समान आकर के होते हैं, जिसमें सुबह 10 बीज………………

एरक :
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एरक और पटेर ये दोनों ही कषाय और मधुर रस युक्त शीतवीर्य,मूत्रल ,रोपक और मूत्रकृच्छ और रक्त -पित्त नाशक है। इनमें से एक विशेषÂ शीतल है, वात प्रकोपक.. …. ……. ….

अंगूर शोफा :
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यह सांस और वातरोग, पेशाब को साफ करने वाला, निद्राप्रद शांतिदायक, कनीनिक विस्तारक और खांसी तथा बुखार आदि कोÂ नष्ट करता है। इसके जड़ और पत्तों को… ……. ….

अंजनी Memecylon edule :
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अंजनी शीतल और संकोचक है। इसके पत्ते आंखों के दर्द में लाभकारी है। और इसकी जड़ सूजाक और अधिक रक्तस्राव में लाभ पहुंचाती है।Â .. …. ……. ….

आफसन्तीन :
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अफसन्तीन दस्तवर, वात और कफ के विकार, बुखार कीडो, और पेट के दर्द को दूर करता है ।यह कड़ुवा,तीखा और पाचक होता है. …. ……. ….

आरारोट :
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अरारोट सही पोषणकर्ता, शान्तिदायक, शीघ्र पचने वाला, स्नेहजनक, सौम्य, विबन्ध(कब्ज) नाशक,दस्तावर है।पित्तजन्य रोग, आंखों के रोग, जलन, सिरदर्द, खूनी. …. ……. ….

आरिमेद :
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अरिमेद का रस कसैला और कडुवा, वीर्य में उष्ण, ग्राही, भूत-वाधा निवारक, होता है। मुखरोग, दांत के रोग रक्तÂ विकार, बस्तिरोग,अतिसार, विषम ज्वर(टायफाइड),…. ……. ….

अजवायन किरमाणी :
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यह कड़वी, प्रकृति में गर्म, पाचक, हल्की, अग्निदीपक, भूख बढ़ाने वाली और बच्चों के पेट के कीड़े, अजीर्ण आम और पेट दर्द को नष्ट करने वाला होता है इसके सभी गुणों… …. ……. ….

अकलबेर :
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अकलबेर को उचित मात्रा में देने से विषम ज्वर,कंठमाला और बेहोशी की स्थिति में लाभ होता है इसके प्रयोग से गले और वायु प्रणालियों की श्लैष्मिक कलाओं के जलन में लाभ होता…. ……. ….

अमरकन्द :
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अमरकन्द मीठी, स्निग्ध , तीखा,उत्तेजक, भूख बढ़ाने वाला, अत्यन्त पौष्टिक होता है। गले के क्षय रोग जनित ग्रन्थियां या गण्डमाला, गुल्म, सूजन, पेट के कीड़े, वात, कफजन्यदोष… …. ……. ….

अनन्त-मूल’कृष्णा सारिवा’ :
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यह वात पित्त, रक्तविकार, प्यास अरूचि, उल्टी बुखारनाशक और शीतल वीर्यवर्द्धक, कफनाशक, शीतल, मधुर,धातुवर्द्धक, भारी स्निग्ध कड़वी, सुगन्धित, स्तनों के दूध को शुद्ध…. ……. ….

अनन्त-मूल श्वेत सारिवा :
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यह शीतल, मधुर, धातुवर्द्धक, भारी, चिकनी, कड़वी, सुगन्धित, कान्तिवर्द्धक, स्वर शोधक, स्तनों के रक्त को शुद्ध करने वाला, जलननाशक, बच्चों के रोग, सूजन,और त्रिदोषशामक…. ……. ….

आसन(विजयसार) :
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यह रसायन गरम, तीखी ,सारक, त्वचा और बालों के लिए लाभकारी है इससे वातपीडा,गले का रोग,रक्तमण्डल,सफेद,विष,सफेद दाग,प्रमेह,कफ विकार,रक्तविकार… …. ……. ….

आसन(असन) :
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यह औषधि कसैला ,मूत्रसंग्राहक, कफ,पित्त,रक्तविकार तथा सफेद दाग को नाशक है।विद्धान के अनुसार इसमें चूना जैसे पदार्थ की अधिकता होती है। और इससे एक प्रकारÂ … …. ……. ….

आशफल :
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यह अग्निवर्द्धक,पौष्टिक और पेट के कीड़ो को नष्ट करने वाला होता है। इसमें सेपालिन नामक तत्व पाया जाता है।… …. ……. ….

अगिया(अगिन) :
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यह कड़वी ,तेज ,तीखी ,गर्म प्रकृति की ,हल्की ,दस्तवार,अग्निदीपक,रूखी,आंखों के लिए हानिकारक ,मुखशोधक,वातसन्तापनाशक,भूतग्रह आवेश निवारक ,विषनाशक… …. ……. ….

जंगली अजवायन :
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यह उत्तेजक, दर्द और अफारा ,पेट के गोल कीड़ों को नष्ट करने वाला और आंतों को मजबूत बनाता है। यह अग्निवर्द्धक भी है। इसे 3 ग्राम की मात्रा से अधिक सेवनÂ … …. ……. ….

अजगंधा :
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अजगंधा सुगन्धित द्रव्य आंत्र की श्लेषकला का उत्तेजक,उत्तेजक ,दर्द नाशक, पसीनावर्द्धक,पाचन शक्ति को सही रखने वाला और खांसी को रोकने वाला होता है। औषधि के… …. ……. ….

आल :
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आल के पत्तो का क्वाथ(काढ़ा) पिलाने से बुखार और कमजोरी मे लाभ होता है। इसके पत्तो का फांट बनाकर पीने और पत्तों का काढ़ा बनाकर त्वचा पर लेप करने से… …. ……. ….

अमलतास (Pudding Pipe Tree, Cassia Fistula) :

अमलतास का पेड़ काफी बड़ा होता है, जिसकी उंचाई 25-30 फुट तक होती है। पेड़ की छाल मटमैली और कुछ लालिमा लिए होती है। अमलतास का पेड़ आमतौर पर सभी जगह पाया जाता है। बाग-बगीचों, घरों में इसे चौकिया तौर पर सजावट के लिए भी लगाया जाता है।………………

अमर बेल :

अमर बेल एक पराश्रयी (दूसरों पर निरर्भर) लता है, जो प्रकृति का चमत्कार ही कहा जा सकता है। बिना जड़ की यह बेल जिस वृक्ष पर फैलती है, अपना आहार उस से रस चूसने वाले सूत्र के माध्यम से प्राप्त कर लेती है।………………

अमड़ा :

पित्त की बीमारियों पैत्तिक अतिसारों और पित्त प्रकृति वाले मनुष्यों को लाभकारी है अमड़ा के पेड़ की हरी छाल बकरी के दूध के साथ घोंटकर पीने से नाक की बीमारियों को हितकर है इसके गुठली की गीरी मासिक श्राव को बन्द करती है।………………

अमरुद :

अमरुद का पेड़ आमतौर पर भारत के सभी राज्यों में उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश का इलाहाबादी अमरुद विश्व विख्यात है। यह विशेष रुप से स्वादिष्ठ होता है। इसके पेड़ की उंचाई 10 से 20 फीट होती है। टहनियां पतली-………………

अम्लवेत :

अम्लवेत का पेड़ फल के लिए बागों में लगाये जाते है। अम्लवेत के फल को बंगाल में थंकल कहते है। पेड़ बड़े, पत्तियां बड़ी, चौड़ी व कर्कश होती है।………………

अनन्नास :

भारत में जुलाई से नंबर के मध्य अनन्नास काफी मात्रा में मिलता है। अनन्नसा मुलतः ब्राजील का फल है, जो प्रसिद्ध नाविक कोलम्बस अपने साथ यूरोप से लेकर आया था। भारत में इस फल को पुर्तगाली लोग लेकर आयें थे।………………
अनन्त :

अनन्त का पेड़ बहुत ऊँचा बढ़ता है। अनन्त पेड़ अधिकतर कोंकण प्रान्त में पाये जाते है। अनन्त के पत्ते लम्बे और कुछ मोटे होते है। अनन्त का पेड़ अत्यन्त सुन्दर दिखाई पड़ता है। अनन्त के पेड़ में अगस्त के………………

अनन्तमूल (Hemidesmus, Indian sarsaparilla) :

अनन्तमूल समुद्र के किनारे वाले प्रदेशो से लेकर भारत के सभी पहाड़ी पदेशों में बेल (लता) के रूप में प्रचुरता से मिलती है। यह सफेद और काली, दो प्रकार की होती है, जो गौरीसर और कालीसर के नाम से आमतौर पर जानी………………
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अनार (Pomegranate, Punica Granatum) :

भारत देश में अनार का पेड़ सभी जगह पर पाया जाता है। कन्धार, काबुल और भारत के उत्तरी भाग में पैदा होने वाले अनार बहुत रसीले और अच्छी किस्म के होते है। अनार के पेड़ कई शाखाओं से युक्त लगभग 20 फुट ऊचा………………

अन्धाहुली (HOLESTEMA HEED) :

अर्कपुष्पी जीवनी भेद ही है । अर्कपुष्पी की बेल नागरबल की तरह और पत्ते गिलोय की तरह छोटे होते हैं, फूल सूर्यमुखी की तरह गोल होता है, इसमें से दूध निकलता है।………………

अंगूर (Graps, Grapesvine, Raisins) :

अंगूर एक आयु बढ़ाने वाला प्रसिद्ध फल है। फलों में यह सर्वोत्तम एवं निर्दोष फल है, क्योंकि यह सभी प्रकार की प्रकार की प्रकृति के मनुष्य के लिए अनुकूल है। निरोग के लिए यह उत्त्म पौष्टिक खाद्य है तो रोगी के लिए………………

अंजीर (FIG) :

काबुल में अंजीर की अधिक पैदावार होती हैं। हमारे देश में बंगलौर, सूरत, कश्मीर, उत्तर-प्रदेश, नासिक, मैसूर क्षेत्रों में यह ज्यादा पैदा होता है। अंजीर पेड़ 14 से 18 फुट ऊंचा होता है। पत्ते और शाखाओं पर रोंए होते है। फूल न………………

अंकोल (Tlebid Alu Retis) :

अंकोल के छोटे तथा बड़े दोनों प्रकार के वृक्ष पाये जाते है। जो आमतौर पर जंगलों में शुष्क एंव उच्च भूमि में उत्पन्न होते है। यह हिमायलय की तराई, उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, राजस्थान, दक्षिण भारत एवं बर्मा में पाया जाता है।………………

ओंगा :

खुजली और जलन्धर को हितकर होती है। इसकी दातून मुख को शुद्ध करती है दांतो को मजबूंत करती है अगर इसके पत्तों का रस मीठे में मिलाकर………………

अपराजिता MEGRIN, (CLITOREA TERNATEA) :

अपराजिता, विष्णुकांता गोकर्णी आदि नामों से जानी-जाने वाली सफेद या नीले रंग के फूलों वाली कोमल पेड़ है। इस पर विशेषकर………………

अपामार्ग (Prickly Chalf flower) :

आपामार्ग का पौधा भारत के समस्त शुष्क स्थानों पर उत्पन्न होता है। यह गांवो में अधिक मिलता है। खेतों के आसपास घास के साथ आमतौर पर पाया जाता है। अपामार्ग ऊंचाई आमतौर पर दो से चार फुट होती है। लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग आमतौर पर देखने………………

एरण्ड (CASTOR PLANT, RICINUS COMMUNITS) :

एरण्ड का पौधा प्रायः सारे भारत में पाया जाता है। इसकी खेती भी की जाती है और इसे खेतों के किनारे-किनारे लगाया जाता है। ऊंचाई में यह 10 से 15 फुट होता है। इसका तना हरा और स्निग्ध तथा छोटी-छोटी शाखाओं………………

अरबी (GREATLEAVED CALEDIUM) :

अरबी अत्यन्त प्रसिद्ध और सभी की परिचित वनस्पति है। अरबी प्रकृति ठण्डी और तर होती है। अरबी के पत्तों से पत्तखेलिया नामक बानगी बनती है। अरबी कन्द (फल) कोमल पत्तों और पत्तों की तरकारी बनती है। अरबी गर्मी………………

अरहर (PIGEON PEA) :

अरहर दो प्रकार की होती है पहली लाल और दूसरी सफेद। वासद अरहर की दाल बहुत मशहूर है। सुस्ती अरहर की दाल व कनपुरिया दाल एवं देशी दाल भी उत्तम मानी जाती है। दाल के रुप में उपयोग में लिए जाने वाले………………

अरीठा :

अरीठे के वृक्ष भारतवर्ष में अधिकतर सभी जगह होते है। यह वृक्ष बहुत बड़े होते है, इसके पत्ते गूलर से भी बड़े होते है। अरीठे के वृक्ष को साधारण समझना केवल भ्रम………………

अर्जुन (Arjuna, Tarminalia Arjuna) :

अर्जुन का पेड़ आमतौर पर सभी जगह पाया जाता है। परंतु अधिकांशतः यह मध्य प्रदेश, बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार में मिलता है। अकसर नालों के किनारे लगने वाला अर्जुन का पेड़ 60 से 80 फुट ऊंचा होता है। इस पेड़ की छाल बाहर से सफेद, अंदर से चिकनी, मोटी………………

अरलू :

अग्निदीपक (भूख को बढ़ाने वाला), कषैला, ठण्डी, वात कफ, पित्त तथा खांसी नाशक है। अरलू का कच्चा फल, मन को अच्छा लगने वाला, वात तथा कफ नाशक है। पका फल गुल्म (वायु का गोला), बवासीर, कीड़ों को नष्ट………………

अरनी :

अरनी की दो जातियां होती है। छोटी और बड़ी। बड़ी अरनी के पत्ते नोकदार और छोटी अरनी के पत्तों से छोटे होते है। छोटी अरनी के पत्तों में सुगंध आती है। लोग इसकी चटनी और शाक भी बनाते है। सांसरोग वाले को………………

अशोक (ASHOK TREE) :

ऐसा कहा जाता है कि जिस पेड़ के नीचे बैठने से शोक नही होता, उसे अशोक कहते है, अर्थात जो स्त्रियों के सारे शोकों को दूर करने की शक्ति रखता है, वही अशोक है। अशोक का पेड़ आम के पेड़ की तरह सदा हरा-भरा रहता………………

अस्वकर्णिक (SALTREE) :

अस्वकर्णी (शाखू) का स्वाद खाने में कषैला होता हैं। घाव, पसीना, कफ, कीड़े को नष्ट करने वाला, बीमारीयों (विद्रधि), बहिरापन, योनि रोग तथा कान के रोग नष्ट………………

अश्वागंधा Winter Cherry :

सम्पूर्ण भारतवर्ष में विशेषतः शुष्क प्रदेशों में असगंध के स्वयंजात वन्यज या कृशिजन्य पौधे 5,500 फुट ऊंचाई तक पाये जाते है। वन्यज पादपों की अपेक्षा कृशिजन्य पौधे गुणवत्ता की दृष्टि से उत्तम होते है, परन्तु तैलादि के………………

अतिबला (खरैटी) (HORNDEAMEAVED SIDA) :

चारों प्रकार की वला-शीतल,मधुर, बल तथा कांतिकर, चिकनी, भारी (ग्राही), खून की खराबी तथा टी0 बी0 के रोगों में सहायक होता है।………………

अतीस (ACONITUM HETEROPHYLLUM) :

भारत में हिमालय प्रदेश के पश्चिमोत्तर भाग में 15 हजार फुट की ऊंचाई तक पाया जाता है। इसके पेड़ो की जड़ अथवा कन्द को खोदकर निकाल लिया जाता है, उसी को अतीस कहते है। कन्द का रंग भूरा और स्वाद कुछ………………

आयापान (AYAPAN) :

आयापन वास्तव में अमेरिका का आदिवासी पौधा है, परन्तु अब सम्पूर्ण भारतवर्ष के बगीचों में अन्दर उगाया जाता है। बंगाल में विशेषतः यह रोपा हुआ और जंगली………………

35 Responses to “आयुर्वेदिक औषधियां”

  1. yashwant said

    Dear Sir,

    Kindlly mail me any type of powder or syrup (auyrvedic) regarding to purify my blood, pratirodhak chamta syrup ho to advice please where to purchase mail me

    yash

  2. Fairly good post. I just stumbled upon your blog and would like to say that I have actually enjoyed viewing your posts. Any way I’ll be signing up to your feed and I have high hopes you post again soon.

  3. pramod said

    i want to know about the medicine ” sidh rashak” and where is it available and what is its use

  4. Not really that funny…

    While I was going over the blog post, a moor hen just fought with my pet terrapin!…

  5. tushar said

    sbhi bhag chahiye to kya kare

  6. I WANT USES OF MEDICINAL PALNT TELIA KAND I HAVEV THIS PLANT

  7. I was looking to the english equivalents of herbs to make brief write up on my blog: santoshkipathshala.blogspot.com
    If possible help. Waiting for response.

  8. dharmendra s.pandya said

    what is the pindarak

  9. Dr. Madan Mohan Parashar said

    alovera in diabetes

  10. ZALA kirat KIRATSINH said

    dear sir thanks iwant somo information about medicinal palnt vircha how can get it

    Date: Tue, 14 Jan 2014 09:40:19 +0000
    To: zalakiratsinh@hotmail.com

  11. kamal said

    Good..

  12. prashant morey said

    Great Ayurveda

  13. Akhilesh thakur said

    Alovera in diavetes

  14. sumant said

    sumant to

  15. harish kumar said

    Saptparyandi kadha me koin2 si aushadhi ka mishran hai pl, ans. Send kare.

  16. rajesh kalo said

    Aurvadic ka mahaga pauda ki jankari jesha palant keya ja ska achi aamdni ho shake

  17. mayank singh bhadauriya c.a.e.t said

    sir migraine k liye koi upaay btailye plz

  18. shashi prakash said

    Sir
    Deshi nam Bhi shamil kiye jaye to pahchan saral hogi

  19. sarvesh kumar Dube said

    shriman ji
    mera nam sarvesh kumar hai aur mai ayurved ki jankari chahta tha vo sab aapke web site par hai mai ise copy and pest kar print karna chahta hoo .kripa kar meri madat kare.

  20. मोहन said

    तेलिया कंद से केंसर का इलाज
    है तो कृपया जानकारी दें ।

  21. deepak said

    M bahut ptla hu !mota hone ke b
    taiye

  22. medicinal plan said

    i am having medicinal plant of telia kand : call me for price 9826224741

  23. bondar said

    mn
    mn

  24. nikhil
    jatin
    geeta
    bondar

  25. abhi said

    want some information about vircha plant

  26. G L purbia said

    Real
    teliakand photo and how to use this

  27. M.P. Sharma (Scientist) said

    I Want to Teliakand Harble Medicine most nessesory. It has available in Baba Boden green (Dada Pahad) at chikmanglure and also Abu mountion in Jodhpur. So I request and Hakeem or Person can be give above Teliakand Harble. Your Most be contact my 8294296066 and my email: mpsharmascientist@gmail.com

  28. Me rmp krna chahata hu. Mujhe iske liye kya krna hoga sir

  29. Mani said

    Very good information…bt I m finding piyaji herb for skin problem.how I can get this herb ..tell me on my email

  30. Sir mount Abu ko ek paudhe k bare me maine padha h ki isse diabetes thik hoti h. Paudhe ka naam h KASTUMBO. KYA AAP MUJHE ISKE BARE ME ADHIK JANKARI DE SAKTE HAIN??EK AUR PAUDHA HAI JISKA NAAM HAI GANGARAN. YE MOTAPE ME KAAM AATI H. PLZZ AGAR AAP KO INKE BARE ME KOI V JANKARI MILE TO PLZ BTAIYEGA. I M IN NEED OF BOTH

  31. rais said

    mere pas he teliya kand 9826224741

  32. a said

    मेरे पास हे तेलीया कंद 9826224741.

  33. Ashwani said

    Mere pas he telia kand 9780426786

  34. rais said

    Mere pas he telia kand 9826224741

  35. solanki bipin said

    Sastu sahity (Gar gar no vaidh) book hogi sir PDF
    Vijaysankar gansankar munsi Ni book che to please hoi to mokajo
    Con no.9173191097

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